दोहा छंद-जोते खेत किसान

नाँगर बइला फाँद के,जोंतय खेत किसान ।
खून पसीना छींच के,उपजावय उन धान ।।

संझा बिहना रोज के,जावय खेत किसान ।
सेवा धरती के करे,दाई बाबू मान ।।

Comments

Popular posts from this blog

कुण्डलिया छंद

महाशिवरात्रि

बरवै छंद