जयकरी छंद

चौपई छंद

महँगाई के झेलत मार। आ गे  होली हमर तिहार।।
होगे तेल एक सौ बीस। कइसे चुरही भजिया तीस।।

महँगाई के देखव रंग। ऊपर ले मौसम छतरंग ।।
कइसे मनखे खुशी मनाय। बिन बादर बरसा हो जाय।।

बैरी बनगे मौसम आज। बिगड़त हावय जम्मो काज।।
होय करा-पानी बरसात। वो किसान ला मारै लात।।

बेसन के अब बढ़गे टेस। देवत हावय सब ला ठेस।।
रंग गुलाल उड़ाही कोन। का खाही मनखे सिरतोन।।

जलके होगे आसा खाख। अब किसान के नइये साख।।
ऊपरवाला सब ला राख। रोय कभू झन एक्को पाख।।

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