दोहा छंद-फागुन
नाचे डंडा नाच जब,फागुन आवै याद ।
गावै मनखे डाँहकी, फाग गीत के बाद ।।1
फागुन पुन्नी तीर हे,गावव होली गीत।
भाईचारा रंग मा,रंगे बैरी मीत ।।2
बड़े बिहनिया गाँव मा,छेना धरके जाय ।
राख अंग मा बोथ के,मनखे घर मा आय ।।3
काम वासना लेस के,होली सफल बनाव।
मया प्रीत के रंग ला,सबला घोर लगाव।।4
रांधे फागुन मा कहे,चइत फेर सब खाय ।
कहिथे सकल सियान मन,बात सहीं का पाय ।।5
जितेन्द्र निषाद
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