दोहा छंद-महानदी
महानदी हर दिन बहे,मोर गाँव के छोर ।
तभो पियासा हे मरत,काबर खेती मोर ।।1
दूध नदी के तीर मा,जहर दूध के माँग।
महुँआ पानी संग मा,पीयय मनखे भाँग ।। 2
बस्तर मा इंद्रावती,होवत लहू लुहान ।
नक्सलवादी धार हा,लेवत कतको जान ।।3
बेजा कब्जा बाढ़गे,अरपा नदिया तीर।
कूड़ा कचरा हे भरे,नइ हे आरुग नीर।।4
हसदो हाँसे कोरिया,अबड़ कोयला खान ।
निकले धुर्रा रोज के,जम्मो बर नुसकान ।।5
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