कुण्डलिया छंद

               कुण्डलिया छंद

आथे सबके अंगना,पहुना कभू कभार ।
लगथे जइसे देवता,हमर पधारे द्वार ।।
हमर पधारे द्वार,करँव गा कइसे स्वागत,
नइये चाँउर दार,रोज महँगाई बाढ़त ।
कर सकेंव नइ मान,सगा हा पर घर खाथे,
अइसन हे अब हाल,अंगना पहुना आथे ।

Comments

Popular posts from this blog

कुण्डलिया छंद

महाशिवरात्रि

बरवै छंद