दुर्मिल सवैया

दुर्मिल सवैया

तज के तिसना,हिरदे अँगना,किसना किसना मनवा जप ले।
चिटिको भटके जप के रसता,अउ मोह मया म फँसे चप ले।
परमारथ तैं करते चलबे,कुबरा झन हो करनी लप ले।
जतका बढ़िया करनी करबे,भवसागर ले तरबे टप ले।

जितेन्द्र कुमार निषाद

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