दोहा छंद-महतारी
महतारी ममता करे,सौंहत देवी जान ।
सात धार के दूध पी,लइका होय जवान ।।1
महतारी के मान कर,झन कर गा अपमान ।
पाल पोंसके तोर बर,बनगे माँ भगवान ।।2
कर ले पूजा रोज के,मंदिर-मस्जिद छोड़ ।
तीन लोक मा नइ मिलै,माँ के कोनो जोड़ ।।3
लाँघन भूखन माँ रहै,लइका खावै सेब ।
लइका भूलै बाढ़ के,माँ मा देखै एब ।।4
महतारी के पाँव मा,हावय चारो धाम ।
कर ले सेवा रोज के,बनही बिगड़े काम ।।5
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