छप्पय छंद

छप्पय छंद

तरिया गोदी काम,देख के अचरज होथे ।
आरुग उथली कोड़,बीज महिनत के बोथे ।।
बनगे सबो अलाल,चार इंची अब कोड़े ।
कइसे होय विकास,मेट के माथा फोड़े ।।
फोकट मा सब देय के,पंगु करे सरकार हा ।
रोवत हे सरपंच हा,कइसे बनही पार हा ।।

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