बरवै छंद
बरवै छंद
खोजत आबे सजनी,तैं हर ठाँव।
पुन्नी के अधरतिहा,मोरे गाँव।
देखत रइहूँ रद्दा,खोरे-खोर।
अउ आ जाबे सजनी,कोरे-कोर।
पीपर के छँइहा मा,हवय मकान।
छितका कुरिया नानुक,सरग समान।
चहकय चिरई-चिरगुन,लेके नाँव।
पुन्नी के अधरतिहा,मोरे गाँव।
फूले हावय सुघ्घर,दसमत फूल।
घर के अँगना मा जी,झूला झूल।
द्वार लिपाहे घर के,गोबर डार।
चउँक पुराहे सुघ्घर,चमकय द्वार।
चंदा-चंदेनी मन,खेलय दाँव।
पुन्नी के अधरतिहा,मोरे गाँव।
बरसत हावय नंगत,मया दुलार।
बिन पानी बिन बादर,हमर दुआर।
कहिनी कस बतिया हँव,एक्के घाँव।
मोर मया मा भीगत,सजनी पाँव।
सोज पहुँचगे सजनी,मोरे ठाँव।
पुन्नी के अधरतिहा,मोरे गाँव।
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