जयकरी छंद
चौपई छंद
नइहे राजा निष्ठावान। खोजे परजा मा ईमान।।
काम करय खुद हरदम खीक। पर ला कइथे नइहे ठीक ।।
जेन खुदे हे बड़का चोर। हाथ ओकरे सत्ता डोर।।
कइसे करही बने नियाव। चोरी करके बनही साव।।
मीठ-मीठ बड़ करके गोठ। खावय कुकरा रोज्जे पोठ।।
निष्ठा ला पानी मा बोज। खिल्ली मारय सातों रोज।।
एकर कारण ला अब जान। अड़हा ज्ञानी अउ विद्वान।।
घर के बुढ़वा मांगै भीख। कोन दिही निष्ठा के सीख।।
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