बरवै छंद
बरवै छंद
बरसा के पानी ला,चिटिक बचाव।
जल संरक्षण बर अब,बाँध बनाव।
नहर बनाके नंगत,पानी पाव।
खेत खार मा देके,फसल उगाव।
होही कँगला मनखे,मालामाल।
जिहाँ बिना पानी के,परे दुकाल।
सबो डहर रइही जल,बारो मास।
तरिया नरवा नल ले,बुझही प्यास।
वाटर लेबल बढ़ही,भुँइया फोर।
सबो डहर बोहाही,खोरे खोर।
अबड़ फैक्टरी खुलही,जल पहुँचाव।
काम करत बेकारी,दूर भगाव।
दशा सुधरही जन के,बढ़ही टेस।
रोजी बर नइ जावय,आने देस।
जितेन्द्र कुमार निषाद
सांगली,गुरुर,जिला-बालोद
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