कुण्डलिया छंद
कुण्डलिया छंद
सत के रद्दा मा चलव,झूठ लबारी छोड़ ।
परमारथ के काम ले,संगी नाता जोड़ ।।
संगी नाता जोड़,त्याग के अपन सुवारथ,
धीरज धरम समेत,होय झन पाप अकारथ ।
जीतेन्दर के मान,रही मानवता जतके,
दया-मया बरसात,होय रद्दा मा सत के ।
Comments
Post a Comment