जयकरी छंद

चौपई छंद

विज्ञापन के देखव हाल। उघरा तन अउ अलकर चाल।।
सोप लिरिल  के देखव झाग। उज्जर होवय करिया काग।।

फूहड़पन के हे भरमार। धारावाहिक पिक्चर झार।।
देख सकस नइ एक्को बार। जुरमिल बइठ सबो परिवार।।

छेड़छाड़ अब होवत कार। मनखे भूलत हे संस्कार।।
घोर दुराचारी अब भोग। होवत हवय मानसिक रोग।।

नइये दशा-दिशा अब ठीक। लइका सँग बइठव नजदीक।।
माँ-बाबू के मानौ बात। नइ खावव तुम कभ्भू लात।।

यौंन सीख के देवव ज्ञान। सब नारी के राखव मान।।
अलकर कभू करव झन काम। बोलव हरदम जय जय राम ।।

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