हरिगीतिका छंद

हरिगीतिका  छंद

रावण ल मारे बर उठाइस,जब धनुष ला राम हा ।
लछमन घलो होगे खड़ा गा,मातगे संग्राम हा ।।
बादर डहर भागे दशानन,छोड़ के मैंदान ला ।
तब बाण मारिस राम हा अउ,खोय रावण जान ला ।।

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