अरविंद सवैया

*आज के अभ्यास - अरविंद सवैया*

भइगे मनखे रसहीन घलो,कतको बढ़िया कविता सुन रोज।
सुन थोर कही बहुते बढ़िया,करही 
बड़ शोर उही हर ओज।
कर पुस्तक आज विमोचन गा,कल तो मुड़ के नइ देखय सोज।
मनखे मन ला कवि फोकट मा,जब बाँटय वोकर नंगत खोज ।

Comments

Popular posts from this blog

कुण्डलिया छंद

महाशिवरात्रि

बरवै छंद