हरिगीतिका छंद

                  हरिगीतिका छंद

अब गाँव लागे ना शहर गा,जाम नाली हा परे।
कचरा समागे माढ़गे जल,भूसड़ी भुनभुन करे।।
जब चाब दे कोनो ल मच्छर,फेर डेंगू ज्वर चढ़े।
झन रोग फैले कर सफाई,दू कदम आघू बढ़े।।

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