हरिगीतिका छंद

                हरिगीतिका छंद

कचरा हवै नाली म बिक्कट,गाँव के हर घाट मा।
अब कोन करही साफ-सुथरा,गाँव के हर बाट मा।।
ए सोच के झन मौन रइहौं,हाथ आघू ले करव।
अब थाम के खुद फावड़ा ला,साफ जुरमिल के करव।।

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