दुर्मिल सवैया

दुर्मिल सवैया 

बरसा बढ़गे नरवा भरगे,तरिया भरगे सब हा तरगे।
नरवा करके कतको धनहा,कुछु खेत घलो बुड़ के सरगे।
बड़ रोवत हे ग किसान ह,ए करजा बढ़गे सनसो परगे।
कइसे छुटहूँ करजा सबके,जब शासन हाथ खड़ा करगे।

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