सुंदरी सवैया

सुंदरी सवैया

पइसा बर तो झन टूटय जी,कउनो रिसता अइसे तुम ठानौ।
कतको झन लानय ,माँग सगा करले पइसा,लउटाय ल जानौ।
बहिनी भइया कर,खेत हिसा झन माँगय, मान-मया पहचानौ।
धन दौलत तो सुख साधन ए,रिसता सबले बड़का तुम मानौ।

जितेन्द्र कुमार निषाद

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