सुंदरी सवैया

सुंदरी सवैया

जिनगी भर पुन्न कमालव,दीन-दुखी मन के,करके नित सेवा।
कउनो कँगला घर आवय,माँगय देवव जी मिसरी अउ मेवा।
कउनो कँगला ल कभू,कँगला कहि के,झन देवव रोज उठेवा।
कतको मनखे बर सौंहत मा ,बन जावव गा असली पनदेवा।

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