हरिगीतिका छंद

हरिगीतिका छंद
अब घूस बिन नइ होय राजा,काज हा संसार के।
ईमान खो गे सच म सबके,खोज दीया बार के।।
परिवार मा नइहे सियनहा,सीख दे ईमान के।
जम्मों जघा हो गे ठिकाना,घूस कस शैतान के।।

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