सुंदरी सवैया आही

सुंदरी सवैया 

कइसे कब ए जग मा अब प्रेम भरे दिन ला 
मनखे मन पाही।
इरसा तज के मनखे मन हा सबके भलई बर हाथ बढ़ाही।
बइरीपन ला तज के मनखे मन हा मितवा सबके बन जाही।
रइही अपनापन हा जग मा तब प्रेम भरे दिन हा फिर आही।

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