दोहा-कइसे बनही खाद

दोहा छंद

रसायनिक हर खाद हा,खेती बर नुकसान।
होवय बंजर खेत हा,बोलय गुणी सियान।।

धान-पान हर साग हा,भइगे जहर समान।।
छींचय मनखे खेत मा,बिखहर दवई लान।।

कतको बिखहर चीज ला,खावय हर इंसान।
आनी-बानी रोग ले,खोवय अपन परान।।

पैरा-भूसा धान के,गरवा बर नुकसान।
बिखहर दवई छींच के,मनखे लेवय जान।।

कतको बड़े किसान हा,करय किसानी झार।
आम पपीता जाम मा,खातू-दवई डार।।

पक्का केरा आम हा,नइ हे निमगा आज।
रोज रसायन डार के,बनिक बनय यमराज।।

तेल फूल अउ दार मा,नइ हे अब प्रोटीन।
खातू-दवई लील दिस,सबो विटामिन जीन।।

बिखहर दवई खेत मा,झन डारव ग किसान।
तभे रही सेहत बने,इही बात ला मान।।

पालव घर मा गाय गरु,दूध-दही सब पाव।
गोबर-कचरा रोज के,घुरवा मा पहुँचाव।।

घर ले दुरिहा गाँव मा,घुरवा सबे बनाव।
कूड़ा-कचरा डार के,जम्मों रोग भगाव।।

गोबर-पैरा संग मा,घुरवा मा तैं डार।
सर-गल के बनही इही,जैविक खातू सार।।

घुरवा खातू खेत बर,अमरित कलश समान।
राखय सदा सजीव ए,खेत-खार खलिहान।।

पोषक क्षमता खेत के,जैविक खाद बढ़ाय।
उपजाऊपन हा बढ़य,माटी नरम रहाय।।

जैविक घुरवा खाद हा,लागत घलो बचाय।
माटी बर ए खाद हा,असल मितान कहाय।।

झिल्ली ले घुरवा भरे,कइसे बनही खाद।
धनहा अउ परिया बनय,कब आही जी याद।।

जीतेन्द्र निषाद "चितेश"
सांगली,गुरुर,जिला-बालोद

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