कुण्डलिया छंद-कहना मान


गहना बड़का जान लव,मीठ मया के बोल।
मान रखै जे बोल के,मनखे उन अनमोल।।
मनखे उन अनमोल,अपन करनी जे परखे,
कथनी-करनी आन,रखै कलजुग के मनखे।
कहना मान "चितेश",उचित हे जेकर कहना,
कथनी-करनी कर्म,सोन ले बड़का गहना।

जीतेन्द्र निषाद "चितेश"

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