हरेली गीत
*हरेली*
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जिनगी ला महकाय हरेली।
पिंवरा धान असन अंतस ला खातू दे हरियाय हरेली। ।
ढरकत आँसू बीच ददरिया के सुर घलो लमाय हरेली।
लोंदी खवा गऊ-गरवा ला पबरित नता जनाय हरेली। ।
खेती के औजार पूज के गुन माने ल सिखाय हरेली।
मन के बल के गेंड़ी ले बिपदा-चिखला नहकाय हरेली।।
गुरतुर-गुरतुर गुरहा चीला के संग अबड़ मिठाय हरेली।
बइगा मन के मंत्र जाप ले धरम धजा फहराय हरेली। ।
लीम डार ला खोंच घरो- घर पर्यावरण बचाय हरेली।
सबो डेहरी खिला ठेंस के सुख-सम्मत अमराय हरेली। ।
भाँठा-चौंरा, गली-गुड़ी मा सुनता ला बगराय हरेली।
गाँव-गँवई अउ कृषि संस्कृति ला सुघ्घर उजराय हरेली। ।
---दीपक निषाद---बनसाँकरा (सिमगा)
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