दोहा बोरे बासी


दोहा छंद

बोरे बासी गोंदली,अउ खेड़ा के साग।
कतको झन के भाग ले,काबर जाथे भाग।।

मनखे मन समझैं नहीं,मनखे के जज्बात।
एकर से जादा नहीं,जग मा दुख के बात।।

कभू कभू देदे करव,लाँघन मन ला भात।
अइसन पुन के काज ला,जानौ मनखे जात।।

जीतेन्द्र निषाद 'चितेश'


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