शराब
होगा किडनी-लीवर,एक दिन खराब जी।
पीना है तो पियो,मुस्कुरा के शराब जी?
हमें क्या है करना,ये तुम्हारी है मर्जी।
यमराज के द्वार,स्वयं दे रहे हो अर्जी।
बीवी-बच्चे भूखे,तुम बने हो नवाब जी?
पीना है तो पियो,मुस्कुरा के शराब जी?
तुम हो बड़े ज्ञानी,बात किसकी मानी।
दूध-दही-घी तुम्हें,लगे विष की रानी।
दारू पीकर लगते हो,संत जनाब जी?
पीना है तो पियो,मुस्कुरा के शराब जी?
तुम्हें मान सदा मिला,अपने समाज में।
मस्त रहे तुम,अपने रीति-रिवाज में।
जग से जाने के बाद,करना हिसाब जी?
पीना है तो पियो,मुस्कुरा के शराब जी?
जीतेन्द्र निषाद 'चितेश'
सांगली,जिला-बालोद

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