दोहा-हाट बजार

दोहा छंद-हाट बजार

जग के माया हाट मा,छै ठन हवय विकार।
काम-क्रोध अउ द्वेष सँग,लोभ-मोह अहँकार।।
 
छै विकार से जेन हा,खुद ले पाही पार।
जग के माया हाट मा,ओकर जय-जयकार।।

शक्ति शांति गंभीरता,पवित्रता अउ प्यार।
ज्ञान खुशी ये सात गुण,पा सत्संग बजार।।

असल सात सद्गुण जिनिस,बिकट बिसा तैं रोज।
खुद के हिरदै भीतरी,अइसन पसरा खोज।।

मिलही माया हाट मा,सरग बरोबर छाँव।
जपबे हरि के नाँव ला,घड़ी-घड़ी हर ठाँव।।

जीतेन्द्र निषाद 'चितेश'
सांगली,जिला-बालोद

Comments

Popular posts from this blog

कुण्डलिया छंद

महाशिवरात्रि

बरवै छंद