दोहा जपले जोही
सादर समीक्षा हेतु
दोहा छंद-जप जोही हरि नाँव ला
राम राम के बेर मा,झन कर कउँआ काँव।
जप जोही हरि नाँव ला,जिभिया ले हर घाँव।।
कल्लर कइयाँ ले कभू,मिलै नहीं सुख-चैन।
अंतस मा होथे दरद,दिन लागै ना रैन।।
गोठ सियानी प्रेम के,मूर्ख समझ नइ पाय।
कीलिर कालर होय ले,घर हा नरक जनाय।।
सहनशीलता अउ सुमति,दू ठन हवय उपाय।
जेकर ले परिवार मा,सुख सम्मत नित छाय।।
जीतेन्द्र निषाद 'चितेश'
सांगली,जिला-बालोद
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