माँ बमलई
माँ बमलई
मोर मन के तरिया मा,खुशी के पानी लबालब होगे।
मां बमलई के दर्शन झेलार मा,भरम कचरा दुरिहा सब होगे।
बोलिन मोला बमलई मइया,सदा रइही मोर किरपा छइहाँ।
सुख-दुख बिन जिनगी चलय नहीं,फेर नइ होवय दुख के खइहा।
अँगना मा आशीष दे हे मइया,लाँघन रहिके कोनो सउँहत नरक नइ भोगे।
मां बमलई के दर्शन झेलार मा,भरम कचरा दुरिहा सब होगे।
राजाराम असन राजा अब नइ दिखय मइया,कोनो देश-राज मा।
कलजुग के राजा खुदे होगे भरपेट बोजइया,अब के राजपाट मा।
परजा संग राजा के जनसेवा धरम,सुवारथ दलदल मा,रबारब खोगे।
मां बमलई के दर्शन झेलार मा,भरम कचरा दुरिहा सब होगे।
घर के मुखिया लोग-लइका ला देवय सत,शील,ईमान के संस्कार
ज्ञान जोत ला अंतस तरी बार के,सदगुण जँवारा बोंवय हर दुआर।
घरोघर लिही देवता-देवी अवतार,मनखे संस्कारवान जब होगे।
मां बमलई के दर्शन झेलार मा,भरम कचरा दुरिहा सब होगे।
जीतेन्द्र निषाद'चितेश'
सांगली,जिला-बालोद
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