कुण्डलिया छंद
कुण्डलिया छंद
लइका मोर जवान हे,पढ़-लिख के बेकार ।
करे नहीं कुछु काम अब,घूमै खारे-खार ।।
घूमै खारे-खार,लगाके चश्मा टोपी ।
बनके रसिया रोज,अपन बर खोजे गोपी ।
नइ माने कुछु बात,लात मा मारे फइका ।
संगी साथी संग,मंदहा बनगे लइका ।।
Comments
Post a Comment