अमृतध्वनि छंद


नर - नारी मन संग मा,नींदें खेती खार।
घाम प्यास झेलय अबड़ ,जाँगर टोरत झार।। 
जाँगर टोरत,करय किसानी,दुनों परानी।
चटनी बासी,खाके बोलय,गुरतुर बानी।।
बढ़िया होही,धान पान हा,जब यहु दारी।
लइका मन ला,बने पढ़ाबो,हम नर नारी।।

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