सरसी छंद
सरसी छंद
झाँझ हवय गा भारी संगी,तन-मन हे बेचैन ।
बड़ चुचवावत हवय पछीना,उमस हवय दिन-रैन ।।
खेत-खार मा रुख-राई हा,खड़े हवय जी मौन ।
नइ डोलत हे डारा-पाना,हवा दिही जी कौन ।।
झन काटव जी रुख-राई ला,करव जतन पुरजोर ।
हरियर-हरियर धरती दिखही,जग मा चारों ओर ।।
सरसर-सरसर गर्रा चलही,नइ होवय जी हाय ।
बढ़िया बारिश होही भइया,अइसन करव उपाय ।।
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