सुंदरी सवैया

सुंदरी सवैया 

मँदहा मन हा झगरा करके,मनखे मन ला बड़ के डरवाथे।
कतकोन जघा मँदहा मन हा,कुटहा कस मार तको बड़ खाथे।
रतिहा कउनो कर तो बधिया कस,वो चिखला म घलो सुत जाथे।
मँदहा मन के करनी बलदा,परिवार तको बड़ के दुख पाथे।

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