बरवै छंद-राखी
बरवै छंद
राखी हावय पबरित,हमर तिहार ।
सावन पुन्नी के दिन,बँटे दुलार ।।
बहिनी बाँधे राखी,भइया हाथ ।
तिलक लगावै रोली,चमकै माथ ।।
बैरी बनगे मनखे,आज मितान ।
करय निर्भया घटना,बन शैतान ।।
बहिनी खातिर भइया,दे वरदान ।
तोर लाज बर देहूँ,मैंहा प्रान ।।
हे भाई-बहिनी के,मया अपार ।
रहय सदा जगदीश्वर,सुन गोहार ।।
जीतेन्द्र निषाद "चितेश"
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