कुकुभ छंद
कुकुभ छंद
नाचे तांडव शंकर भोला,पहिरे बघवा छाला जी ।
रूप हवय गा भारी भरकम,गोभ दिही का भाला जी ।।
आँखी फाड़े देखत हावय,तिरछा-तिरछा भोला जी ।
आँखी ले आगी बरसत हे,बड़का-बड़का गोला जी ।।
लेसा के मर जाही जम्मों,जेहा आगू जाही जी ।
सोच-समझ के जाहू आगू,दूसर कोन बचाही जी ।।
कोन मनाही शिव भोला ला,काकर हिम्मत हे भारी ।
जेन मनाइस शिव भोला ला,पारवती उन महतारी ।।
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