कुण्डलिया छंद
कुण्डलिया छंद
बढ़गे अब्बड़ घाम हा,तीपत हावय चाम ।
नाक कान ला बाँध के,करव खेत मा काम ।।
करव खेत मा काम,गाँव के सब नर नारी ।
खाली-पीली फेर,करव झन फोकट चारी ।
दे जीतेन्दर राय,बेंदरा रुख मा चढ़गे ।
कर लव गा आराम,घाम हा अब्बड़ बढ़गे ।
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