जयकरी छंद

चौपई छंद

बिगड़े मौसम बारों मास। टूटे गा किसान के आस।।
बारिश मा बरसा नइ होय। जाड़ घरी जब बिकट रितोय।।

गेहूँ तिंवरा होगे नाश। बनगे खेती जिन्दा लाश।।
सब किसान ला दिस जब बोज। धरके माथा रोवय रोज।।

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