छप्पय छंद

                 छप्पय छंद

बढ़गे गरमी आज,होय हे थरथर चोला ।
सूखावत मुँह कान,भूख नइ लागै मोला ।।
पीथँव अब्बड़ जूस,तभो ले लागै सुस्ती ।
कइसन करँव उपाय,बदन मा आवय चुस्ती ।।
पंखा कूलर झाँझ मा,करे नहीं अब काम जी ।
तन मन होही शांत कब,कइसे मिले अराम जी ।।

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