दोहा छंद

झिल्ली ले घुरवा भरे,कइसे बनही खाद ।
धनहा अउ परिया बनय,कब आही जी याद ।।

गोबर पैरा संग मा,घुरवा मा तैं डार ।
सर-गल के बनही इही,खातू सबले सार ।।

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