दोहे खेत

खेत-खार तीरथ सही,हमर गाँव के शान।
रोज करै दरसन हमर,हर बनिहार किसान।।

अन्न खेत ले ऊबजै,पेट भरै संसार।
असल पुजारी बन कृषक,पूजा करै अपार।।


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